Ghar ke Mandir me Pooja Kaise Karen | सुख-समृद्धि पाने के लिए पूजा से जुड़ी 32 महत्वपूर्ण बातें

 

Ghar ke Mandir me Pooja Kaise Karen

दोस्तों मंदिर में पूजा करने का तरीका अलग होता है और घर में पूजा करने का अलग नियम होता है . अगर आपको घर के मंदिर में पूजा करने का नियम नहीं पता है तो आज की इस पोस्ट में हम बताएँगे कि Ghar ke Mandir me Pooja Kaise Karen.

 

Ghar ke Mandir me puja

 

घर के मंदिर में पूजा करने कैसे करें : Ghar ke Mandir me Pooja Kaise Karen

  • एक हाथ से प्रणाम नही करना चाहिए।
  • सोए हुए व्यक्ति का चरण स्पर्श नहीं करना चाहिए।
  • बड़ों को प्रणाम करते समय उनके दाहिने पैर पर दाहिने हाथ से और उनके बांये पैर को बांये हाथ से छूकर प्रणाम करना चाहिए।
  • जप करते समय दाहिने हाथ को कपड़े या गौमुखी से ढककर रखना चाहिए।
  • जप के बाद आसन के नीचे की भूमि को स्पर्श कर नेत्रों से लगाना चाहिए।
  •  संक्रान्ति, द्वादशी, अमावस्या, पूर्णिमा, रविवार और सन्ध्या के समय तुलसी तोड़ना निषिद्ध हैं।
  •  दीपक से दीपक को नही जलाना चाहिए।
  •  यज्ञ, श्राद्ध आदि में काले तिल का प्रयोग करना चाहिए, सफेद तिल का नहीं।
  •  शनिवार को पीपल पर जल चढ़ाना चाहिए। पीपल की सात परिक्रमा करनी चाहिए।
  •  कूमड़ा-मतीरा-नारियल आदि को स्त्रियां नहीं तोड़े या चाकू आदि से नहीं काटें। यह उत्तम नही माना गया हैं।
  •  भोजन प्रसाद को लाघंना नहीं चाहिए।
 
 

वास्तु के अनुसार घर में मंदिर का सही स्थान क्या हो

 

– घर में हमेशा पूर्व या उत्तर दिशा ( ईशान कोण )में ही मंदिर का स्थान रखें.

– घर का मंदिर हमेशा लकड़ी का बना होना चाहिए.

– जब आप पूजा करें तो पूर्व दिशा की तरफ मुंह करके ही पूजा करें.

घर के मंदिर में देवी-देवताओं की मूर्तियों को कैसे रखें 

  • भगवान गणेश को लक्ष्मी की बाईं ओर और देवी सरस्वती को देवी लक्ष्मी के दाहिने तरफ रखा जाना चाहिए।
  • शिवलिंग (वास्तु के अनुसार केवल छोटे आकार का) घर के उत्तरी भाग में रखा जाना चाहिए।
  • वास्तु के अनुसार मंदिर या पूजा कक्ष में भगवान हनुमान की मूर्ति हमेशा दक्षिण दिशा की ओर होनी चाहिए।
  • जिन देवताओं की मूर्तियों को उत्तर दिशा में, दक्षिण दिशा की ओर मुख करके रखना चाहिए, वे हैं गणेश, दुर्गा और कुबेर।
  • भगवान कार्तिकेय और दुर्गा की मूर्तियों को पूरब दिशा की ओर मुख करके रख सकते हैं।
  • सूर्य, ब्रह्मा, विष्णु, महेश को पूरब दिशा में पश्चिम की ओर मुख करके रखना चाहिए।
 
 

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★  देव प्रतिमा देखकर अवश्य प्रणाम करें।
 
★  किसी को भी कोई वस्तु या दान-दक्षिणा दाहिने हाथ से देना चाहिए।
 
★  एकादशी, अमावस्या, कृृष्ण चतुर्दशी, पूर्णिमा व्रत तथा श्राद्ध के दिन क्षौर-कर्म (दाढ़ी) नहीं बनाना चाहिए|
 
★ बिना यज्ञोपवित या शिखा बंधन के जो भी कार्य, कर्म किया जाता है, वह निष्फल हो जाता हैं।
 
★ विष्णु भगवान को चावल गणेश जी  को तुलसी, दुर्गा जी और सूर्य नारायण  को बिल्व पत्र नही चढ़ाना चाहिए।
 
 
 
Ghar ke Mandir me Pooja Kaise Karen
 

शंकर जी पूजा करने का नियम – Ghar ke Mandir me Pooja Kaise Karen
 
★ शंकर जी को शिवरात्रि के सिवाय कुंकुम नहीं चढ़ती।
 
★ शिवजी को कुंद, विष्णु जी को धतूरा, देवी जी  को आक तथा मदार और सूर्य भगवानको तगर के फूल नहीं चढ़ावे।
 
★  शंकर जी को बिल्वपत्र, विष्णु जी को तुलसी, गणेश जी को दूर्वा, लक्ष्मी जी को कमल प्रिय हैं।
 
★ अक्षत देवताओं को तीन बार तथा पितरों को एक बार धोकर चढ़ावें।
 
★ नये बिल्व पत्र नहीं मिले तो चढ़ाये हुए बिल्व पत्र धोकर फिर चढ़ाए जा सकते हैं।
 
 
 

रोज घर मे पूजा करने के नियम : Ghar ke Mandir me Pooja Kaise Karen

  • पत्र-पुष्प-फल का मुख नीचे करके नहीं चढ़ावें, जैसे उत्पन्न होते हों वैसे ही चढ़ावें।
  • किंतु बिल्वपत्र उलटा करके डंडी तोड़कर शंकर पर चढ़ावें।
  • पान की डंडी का अग्रभाग तोड़कर चढ़ावें।
  • सड़ा हुआ पान या पुष्प नहीं चढ़ावे।
  • गणेश को तुलसी भाद्र शुक्ल चतुर्थी को चढ़ती हैं।
  • पांच रात्रि तक कमल का फूल बासी नहीं होता है।
  • दस रात्रि तक तुलसी पत्र बासी नहीं होते हैं।
  • सभी धार्मिक कार्यो में पत्नी को दाहिने भाग में बिठाकर धार्मिक क्रियाएं सम्पन्न करनी चाहिए।
  • पूजन करनेवाला ललाट पर तिलक लगाकर ही पूजा करें।
  • पूर्वाभिमुख बैठकर अपने बांयी ओर घंटा, धूप तथा दाहिनी ओर शंख, जलपात्र एवं पूजन सामग्री रखें।
  • घी का दीपक अपने बांयी ओर तथा देवता को दाहिने ओर रखें एवं चांवल पर दीपक रखकर प्रज्वलित करें।
     

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by Tripti Srivastava
मेरा नाम तृप्ति श्रीवास्तव है। मैं इस वेबसाइट की Verified Owner हूँ। मैं न्यूमरोलॉजिस्ट, ज्योतिषी और वास्तु शास्त्र विशेषज्ञ हूँ। मैंने रिसर्च करके बहुत ही आसान शब्दों में जानकारी देने की कोशिश की है। मेरा मुख्य उद्देश्य लोगों को सच्ची सलाह और मार्गदर्शन से खुशी प्रदान करना है।

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