शब्दों की माला….मेरी कलम से | Hindi Poem by Tripti Srivastava

शब्दों की माला

शब्दों की माला
शब्दों की माला – Hindi Kavita

जब तक मुझको न था उचित ज्ञान,
शब्दों के प्रयोग से थी मैं अनजान,
न था इन पर मेरा तनिक ध्यान,
न ही थी इनकी मैं कद्रदान।

मंडराते थे ये मेरे आसपास,
छोड़ते न थे कभी मेरा ये साथ,
इनको मुझसे थी यही एक आस,
कभी तो इनका मुझे होगा एहसास।

धीरे से मुझे इनसे प्यार हुआ,
इन शब्दों को मैंने अधिकार दिया,
फिर मैंने इन्हें क्रमवार किया,
भावनाओं से अपनी सवाँर दिया।

जब जज्बातों ने इनको बांध दिया,
और पूरा इन्हें सम्मान दिया,
शब्दों ने कल्पनाओं को आकार दिया,
और मुझको अलग पहचान दिया।

जब शब्दों की माला से मैं अलंकृत हुई,
मुझको एक अलग-सी अनुभूति हुई,
भावनाओं की मेरे अभिव्यक्ति हुई,
मन को मेरे तब ‘तृप्ति‘ हुई।

अब इनका मेल मुझे है भाता,
इनसे जुड़ गया मेरा नाता,
फिर शब्दों की जो बही सरिता,
तो खुद ही बन गयी एक कविता !

by Tripti Srivastava
मेरा नाम तृप्ति श्रीवास्तव है। मैं इस वेबसाइट की Verified Owner हूँ। मैं न्यूमरोलॉजिस्ट, ज्योतिषी और वास्तु शास्त्र विशेषज्ञ हूँ। मैंने रिसर्च करके बहुत ही आसान शब्दों में जानकारी देने की कोशिश की है। मेरा मुख्य उद्देश्य लोगों को सच्ची सलाह और मार्गदर्शन से खुशी प्रदान करना है।

Leave a Comment